Anna Hazare
अन्ना हज़ारे
( ANNA
HAZAARE)
Ø अन्ना हज़ारे जी का
पूरा नाम “ अन्ना बाबूराव हज़ारे “ है.
Ø उनका जनम १५ जून, १९३७ ( 15 JUNE, 1937 ) को आहमेदनगर के पास
भिन्गर में हुआ था.
Ø जनम के समय उनका नाम
“ किसान हज़ारे ” था जिसे बाद में “ अन्ना “ नाम दिया गया. जिसका अर्थ मराठी में
" पिता " या " बड़ा भाई " होता है.
Ø
उनके परिवार में उनकी २ ( 2 ) बहनें और ३ ( 3 ) भाई हैं और अन्ना उनमें
से सबसे बड़े हैं.
Ø उन्होने आज तक शादी
नही की.
शुरुआती दिन
Ø उनके एक रिश्तेदार
ने अन्ना जी की पड़ाई का जिम्मा उठाया और उन्हे मुंबई ले गये लेकिन ज़्यादा देर जिम्मा
नहीं उठा सके.
Ø
इस वजह से अन्ना जी ने दादर रेलवे स्टेशन पर फूल बेचने शुरू
किए और जल्द ही अपनी फूलों की दुकान खोल ली.
फ़ौजी ज़िंदगी
Ø १९६२ ( 1962 ) में इंडो - चाइना युध (
Indo-China war ) के दौरान बड़ी तादार
में लोगों की भरती करनी पड़ी और इसमें अन्ना हज़ारे की भी अप्रिल १९६३ ( April,
1963 ) में भरती हो गयी और
उन्हे औरंगाबाद ( Aurangabad ) ट्रैनिंग के लिए भेज दिया गया.
Ø भारत-पाक युध , १९६५ ( 1965 ) में उनकी पोस्टिंग
खेम करण के बॉर्डर पर हुई और वो उस युध में ज़िंदा रहने वाले अकेले इंसान थे.
Ø युध का तनाव और ग़रीबी
ने अन्ना हज़ारे को झंझौर कर रख दिया कि उन्होने आत्महत्या तक करने की सोची पर फिर
सोचा की भगवान ने अकेले उनको उस युध में बचाया तो कोई ना कोई कारण ज़रूर होगा और बस
यही सोच कर उन्होने अपनी पूरी ज़िंदगी लोगों की सेवा में बिताने की सोची.
Ø
१२ सालों ( 12 years ) की अपनी आर्मी की नौकरी
से डिसचार्ज होने के बाद १९७५ ( 1975 ) में वो अपने गाँव , रालेगन सिढ्ही ( Ralegan
Sidhhi ) पहुच गये और उसका सुधार
करने में जुट गये.
रेलांगीली सिध्हि आने पर
शराब के खिलाफ : गाँव वापिस आने के बाद
, कभी पानी के लिए , तंबाकू के खिलाफ तो
कभी शराब के खिलाफ उन्होने मुहिम चलाई.
ग्रैण बॅंक ( GRAIN BANK ) : १९८० ( 1980 ) में अन्ना हज़ारे ने
वहाँ के मंदिर में ग्रैण बॅंक शुरू किया जहाँ सूखे के दौरान या फिर फसल अच्छी ना होने
पर खाने की सेक्यूरिटी दी जाती थी.
वॉटरशेड : पानी की कमी के कारण रालेगन में खेती बहुत
मुश्किल से हो पाती थी, और इसलिए वहाँ ग़रीबी
ज़्यादा थी. अन्ना हज़ारे ने वहाँ एक वॉटरशेड बनवाया जिससे पानी को स्टोर किया जा सकता
था और खेती के लिए . किया जा . था.
ज़्यादा पानी लेने वाली फसलें जैसे गन्ने की खेती बिल्कुल बंद
कर दी गयी और दूसरी फसलें जैसे की दालें, चावल आदि की ख्ती बड़ा
दी गयी.
दूध का उत्पादन : दूसरे रोज़गार के तौर पे दूध का उत्पादन भी
शुरू किया गया.
१९३२ में रालेगन को अपना पहला स्कूल मिला.
ग्राम सभा ऐक्ट ( GRAM
SABHA ACT ) : अन्ना हज़ारे ने १९९८ ( 1998 ) से २००६ (2006 ) ने ग्राम सभा ऐक्ट
को तोड़ आबदलने की मुहिम चलाई जिसमें ये मनवाया की की गाओं की उनत्ति के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं में गाओं के मुख्या लोग
भी शामिल होंगे. स्टेट की सरकार ने शुरू में इसे नहीं माना लेकिन इतने सालों के दबाव
में आ कर उन्हे ये मानना ही पड़ा.
१९९१ में अन्ना हज़ारे ने " भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन"
शुरू किया भ्रष्टाचार के खिलाफ.
इसी साल में उन्होने ४० ( 40 ) जंगल के अधिकारी और
लकड़ी के काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ प्रोटेस्ट किया जिसके फलनुसार इन अधिकारियों
का तबादला हो गया और कुछ को सस्पेंड कर दिया गया.
घोलप का मामला
Ø ४ नवेंबर, १९९७ ( 4 November, 1997 ) को , घोलप ने हज़ारे पे मानहानि का मुक़दमा कर दिया क्यूंकी हज़ारे
ने घोलप पा भ्रष्टाचार का दावा किया था.
Ø इसके फलनुसार, अन्ना हज़ारे को एप्रिल १९९८ ( 1998 ) में गिरफ्तार कर लिया
गया, लेकिन जल्द ही ५००० ( 5000 ) रुपय की ज़मानत पर
छ्चोड़ दिया गया.
Ø ९ सेप्टेंबर, १९९८ (9 September, 1998 ) को मुंबई मेट्रोपोलिटन
कोर्ट के आदेश अनुसार उन्हे ३ महीने ( 3 months ) की सज़ा हुई लेकिन
जन प्रदर्शन के कारण उनकी रेहाइ हो गयी.
Ø बाहर आते ही अन्ना
हज़ारे ने मुख्यमंत्री, मनोहर जोशी को एक चिठि
लिखी जिसमें उन्होने , घोलप को निकालने की
माँग की.
Ø
घोलप ने २७ एप्रिल, १९९९ ( 27 April,
1999 ) को अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
Ø ( 2003 ) में अन्ना जी ने कॉंग्रेस
के चार मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगये और उन्हे अपने पद से हटवाने के
लिए वह ९ अगस्त ( 9 August ) से १७ ( 17 August ) अगस्त तक अनशन पर भी
बैठे.
जन लोकपाल बिल
( LOKPAL BILL )
Ø २०११ ( 2011 ) में अन्ना हज़ारे ने
भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत बड़ा आंदोलन छेड़ा
और " जन लोकपाल बिल " की माँग की.
Ø इस बिल के अनुसार, प्रधान मंत्री भी इस बिल के भीतर शामिल होंगे.
Ø अपनी माँग को पूरा
करवाने के लिया वह ५ एप्रिल ( 5 April )
से आमरण उपवास पर भी बैठे.
Ø इस मुहिम में कई बड़े
बड़े दिग्गज भी शामिल हुए जैसे की किरण बेदी, स्वामी रामदेव, अरविंद केजरीवाल आदि.
Ø करीब १५० ( 150 )लोगों ने हज़ारे के
साथ मिलकर उपवास किया.
Ø ८ एप्रिल ( 8 April )
को उनकी माँगे मानी गयी और एक " जॉइंट ड्रॅफटिंग कोँमिटी " बनाई गयी.
Ø ९ एप्रिल ( 9 April
) को एक एक नोटिफिकेशन ( Notification ) निकला की कमिटी ( Committee
) में एक मंत्री होंगे और एक गैर मंत्री होंगे.
Ø मंत्रियों के नॉमिनीस ( Nominees
) होंगे -- पी. चिदंबरम , के पी सिबल, एम. वेरप्पा मोइली, प्रणब मुखेर्जी और
सलमान खुर्शीद.
Ø गैर मंत्रियों के नॉमिनीस होंगे
-- एन. संतोष हेगड़े, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, अन्ना हज़ारे और अरविंद
केजरीवाल.
Ø और कोँमिटी बनते ही
९ एप्रिल ( 9 April ) की सुबह, अन्ना हज़ारे ने अपना
अनशन तोड़ दिया.
Ø लेकिन साथ ही साथ ये
धमकी भी दी, की अगर ये लोकपाल बिल पास नहीं हुआ तो, पूरा देश में क्रांति फैलेगी.
Ø अन्ना ने इसे आज़ादी
की दूसरी लड़ाई भी कहा.
Ø २८ जुलाइ ( 28 July )
को एक ड्राफ्ट बन के आया जिसमें से प्रधान मंत्री और कई बड़े वकीलों को इस बिल
से बाहर रखा गया.
Ø अन्ना हज़ारे ने इसे
एक भद्दा मज़ाक बताते हुए प्रधान मंत्री, मनमोहन सिंघ को चिठि
लिखी और अपना फ़ैसला सुनाया की अगर साकार ने
अपनी मर्ज़ी से बिल बनाया तो वो १६ ऑगस्ट ( 16 August ) को जंतर मंतर पर अनशन
करेंगे.
Ø अनशन शुरू होने से
४ ( 4 ) घंटे पहले ही अन्ना को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में हज़ारे ने बेल लेने से
भी माना कर दिया जिसके फलानुसार उन्हे ७ दिन ( 7 days ) के लिए तिहार जैल भेज
दिया गया.
Ø प्रशांत भूषण के टी.वी
तथा अन्य मीडीया के तरीकों से ये बताने के बाद की अन्ना जी को गिरफ्तार कर लिया गया
है, हज़ारों की तदार में लोगों ने इंडिया गेट से जंतर मंतर की तरफ
आंदोलन छेड़ा.
Ø यह देखकर , अन्ना हज़ारे को बिना किसी शर्त के रिहा कर दिया गया लेकि हज़ारे
ने माना कर दिया और यह शर्त रखी कि उन्हे राम लीला मैदान में अनशन करने की इजाज़त दी
जाए.
Ø उन्हे यह इजाज़त मिल
गयी और २० ऑगस्ट ( 20 August ) को राम लीला मैदान
में हज़ारों की तदडर में लोग इकतहा हुए और अन्ना अनशन पर बैठे
Ø २८ अगस्त ( 28 August
) को इस अनशन का आखरी दिन था जब लोकपाल बिल पास होने की ब्बत साकार द्वारा की गयी.
Ø इसके बाद उन्हे मेडांता
अस्पताल , गुरगाओं में दाखिल किया गया.
निमन्लिखित कुछ अवॉर्ड्स से उनको नवाज़ा गया है
१९८६ ( 1986 ) -- इंदिरा प्रियदर्शिनी
वृक्षमित्रा अवॉर्ड
१९८९ ( 1989 ) -- कृषि भूषण अवॉर्ड
१९९० ( 1990 ) -- पदंश्री
१९९२ ( 1992 ) -- पद्मभूषण
१९९६ ( 1996 ) -- श्रोमणि
१९९७ ( 1997 ) -- महावीर
१९९८ ( 1998 ) -- केयर इंटरनॅशनल
अवॉर्ड
२००३ ( 2003 ) -- इंटेग्रिटी अवॉर्ड
२००५ ( 2005 ) -- ओनररी डॉक्टोवरेट
२००८ ( 2008 ) -- जिट गिल मेमोरियल
अवॉर्ड
२०११ ( 2011 ) -- एन डी टी वी इंडियन
ऑफ द यियर अवॉर्ड
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